पंजाब के कपूरथला से प्रकाश उत्सव मनाने के लिए पाकिस्तान गई 52 वर्षीय सरबजीत कौर के लापता होने से हड़कंप मच गया है। 4 नवंबर को 1900 भारतीय श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ पाकिस्तान पहुँची सरबजीत कौर लौटते समय गायब हो गईं, जिसके बाद उनकी व्यक्तिगत पृष्ठभूमि और पाकिस्तान में उनके इरादों को लेकर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो इस मामले को अंजू जैसी एक और कहानी की ओर इशारा कर रहे हैं।
सरबजीत कौर पर संदेह के घेरे में क्यों?
जाँच शुरू होते ही सरबजीत कौर की नीयत पर संदेह गहरा गया:
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अधूरी इमिग्रेशन जानकारी: पाकिस्तान पहुँचने पर उन्होंने इमिग्रेशन फॉर्म में जानबूझकर अपनी राष्ट्रीयता का उल्लेख नहीं किया और पासपोर्ट नंबर भी अधूरा छोड़ दिया था।
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आपराधिक पृष्ठभूमि: पंजाब पुलिस की जाँच में पता चला कि सरबजीत कौर पर पहले तीन मामले दर्ज थे, जिनमें वह बरी हो चुकी हैं। उनके दोनों बेटों, नवप्रीत और लवप्रीत, पर भी एनडीपीएस एक्ट के कुछ मामले दर्ज हैं।
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पारिवारिक और निजी जीवन: सरबजीत कौर के पति पिछले 20 सालों से इंग्लैंड में रह रहे हैं। पुलिस अब इस बात की गहनता से जाँच कर रही है कि कहीं उनका कोई पाकिस्तानी कनेक्शन तो नहीं था।
'डंकी रूट' और फेसबुक दोस्ती की चर्चा
सरबजीत कौर के गाँव अमैनीपुर के लोग दबी जुबान में दो प्रमुख बातें बता रहे हैं:
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'डंकी रूट' की आशंका: कुछ ग्रामीणों का मानना है कि वह पाकिस्तान के रास्ते अवैध 'डंकी रूट' का सहारा लेकर इंग्लैंड में रह रहे अपने पति के पास भाग गई होंगी।
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पाकिस्तानी कनेक्शन: अन्य लोगों का कहना है कि सरबजीत कौर की दोस्ती फेसबुक पर नासिर नाम के एक पाकिस्तानी युवक से थी, जिससे मिलने वह पहले भी करतारपुर कॉरिडोर के रास्ते पाकिस्तान जा चुकी हैं।
वायरल लेटर: सरबजीत से 'नूर हुसैन'
मामले ने तब एक नया मोड़ लिया जब सोशल मीडिया पर उर्दू में लिखा एक लेटर पाकिस्तान से वायरल हुआ। इस लेटर में दावा किया गया है कि:
यह घटना राजस्थान की अंजू के पाकिस्तान जाकर निकाह करने की याद दिलाती है, हालांकि इस वायरल लेटर की सच्चाई की पुष्टि पुलिस की जाँच के बाद ही हो पाएगी।
SGPC ने उठाए सरकारी जाँच पर सवाल
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के सचिव प्रताप सिंह ने इस घटना पर गहरी चिंता जताते हुए सरकार की जाँच प्रक्रिया पर सवाल उठाए।
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SGPC का दावा: प्रताप सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा भेजी गई आधिकारिक सूची में सरबजीत कौर का नाम शामिल ही नहीं था, और SGPC ने केवल सरकारी सूची के आधार पर ही मंजूरी दी थी।
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सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी: उन्होंने कहा कि यात्रियों की पृष्ठभूमि की जाँच करना सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी है। यदि महिला के इरादे संदिग्ध थे या वह ऑनलाइन बातचीत कर रही थी, तो उसे बॉर्डर पार करने से पहले ही रोका जाना चाहिए था।
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सिख कौम की छवि: प्रताप सिंह ने महिला के इस व्यवहार की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि ऐसी घटना पूरी सिख कौम की छवि पर नकारात्मक असर डालती है, क्योंकि जत्थे का हर सदस्य समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है।
यह मामला अब केवल एक गुमशुदगी का नहीं, बल्कि सुरक्षा चूक, अवैध इमिग्रेशन और सीमा पार संबंधों का एक जटिल मुद्दा बन गया है, जिसकी गहन जाँच जारी है।